विषय- बेरंग जीवन
बेरंग भरे इस जीवन में तो,
रंगों की बहार आयी थी।
इंद्रधनुषी रंगों को देखकर,
सपनें तो कई सजायें थे।।
फिर आया एक हवा का झोंका,
सब कुछ तहस-नहस कर दिया।
उठी गलतफहमी की एक लहर,
मन में वहम का घर कर दिया।।
अब तो हर एक बात में ही,
जब देखो तब तकरार होती है।
एक-दूसरे पर आरोपो की,
हर बार ही बरसात होती हैं।।
अब तो एक -दूसरे को देखना भी,
किसी को अब सुहाता नहीं है।
वो मग्न हो गए अपनी दुनियाँ में,
ये दिल को अब भाता ही नहीं है।।
फिर से जीवन में लौट आये हैं,
हम तो अब उसी मोड़ पर।
जहाँ से चले थे बिना सहारे के,
लौट आये अब हम खामोश होकर।।
अब नहीं किसी की मीठी बातों में आना,
चुपचाप से सीधी राह है चलना।
सब मतलब की दुनियां होती है,
अब न किसी की हमकों राह तकना।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री