मस्त मदकल बहती बयार
फूलों से हो गुलजार
धरती रही पुकार
महीनों रे फाल्गुन को
रंगों, छंदों की छायी बहार
होली का आया त्यौहार
💚💚💚💚
मन में फूटे रंगीले गुबार
तीखे नयनों का होगा प्रहार
भीगी जुल्फों पर छाया निखार
परदेशिया
रंग रसिया
मन बसिया
आजा इस बार
होली का आया त्यौहार
💜💜💜💜
प्रेम के रंगो का सरोवर
गुलालों का लगा अम्बार
मुस्कानों का दे दबाब
मारो पिचकारी
मेरे दिलदार
फिजा को बना दो रंगदार
होली का आया त्यौहार
💙💙💙💙
"कान्हा "ने भी खेली
हम भी क्यों न खेले
गोपियों की हो टोली
बंसी बजे मस्तमोली
मस्तानी दीवानी
हर जवानी बोली
होली न आये बार बार
परदेशी बालमा आजा इस बार
👏होली का आया त्यौहार👏
✍️रचियता .........."कमल"..........भंसा