मंजिले मिलती नही सिर्फ
रास्तों पे चलने से
तुफानो में भी खुद को साबित करना पड़ता है
कभी दुनिया से,कभी खुद लड़ना पड़ता है।
तब जाके दिखती है एक उम्मीद की किरण
उस एक किरण के सहारे कितने दिन चलना पड़ता है।
चलते, लढ़ते ,गिरते, संभलते आता है फिर वो दिन,जब मिलती है मंजिल।
करती है फिर दुनिया सलाम,और होता है फिर, खुद पर ही नाज़।
-️V Chaudhari