dear friend...
आज याद आ रही थी तुम्हारी..
जब तुम थे तब सब कितना अच्छा था ना..
हा,आज भी सब बोहोत अच्छा है पहले से बेहतर है..
पर , एक वक़्त था जब में तुमसे अपनी सारी बाते करती थी..
हा माना अब बात नही होती हमारी पर,
में आज भी अपनी बाते खुलकर किसी के साथ शेएर नही कर पाती हूँ या फिर ये कहू की किसीको बतानेका दिल ही नही करता..
अब मुजे अपनी बाते लिखनेका एक जरिया मिल गया है तो बस अपनी सारी बात अल्फाजो में लिख देती हूं..
पर उन लिखी बातों को पढ़कर भी कोई कुछ समझ नही पाता है..
तुम मेरे बिना बोले ही सब कैसे समझ जाते थे ये राझ मुजे आज भी समज नही आता है
सब पढ़कर तारीफ करदिया करते है मेरे अल्फाज़ो की और में भी सब भूलकर मुस्कुरा देती हूं।।