यूँही चलते चलते कब रुख़ बदल गया
पताना चला ॥
कब तुम्हारे रास्ते चल पड़े पता ना चला ॥
मोसम हमारा मासूम था ।
कब माहोल-ए-महेफ़िल बन गया
पता भी ना चला ॥
तुम भी उदासीन हम भी उदासीन ।
कब हम समज सके पता ना चला ॥
अजनबी बो मंज़िल कब पहोच गये ।
वो दिन का पता भी ना चला ॥
अंजान दिल-ए-महोब्बत हो गयी ।
वो दिल को भी पता ना चला ॥
हर पल साथ साथ हे वो अहेसास ।
कब हो गया पता ना चला ॥