शिव के स्वरूप से सिद्ध हो जाता है इनके अंदर पूरी सृष्टि समाहित है ये सृष्टि के बीज है
इसे प्रमाणित करते है -
🌹बीज जब अंकुरित होता है उसमे नर मादा दोनो के अंश होते है शिव का अर्द्धनारीश्वर रूप इसी बात की पुष्टि करता है
🌹गंगा जटा मे जीवन के लिए आवश्यक जल तत्व इनके पास
🌹पोषण के लिए तपाने के लिए आग तीसरे नैत्र मे यदि अग्नि नही हो तो नव सृजन नही होगा
🌹मस्तक पर चंद्र शीतलता व जीवन का प्रतीक मन का निर्माण कर्ता अमृत कारक
🌹कंठो मे विष विनाश का प्रतीक जीवन खत्म करने वाला
🌹त्रिशूल तीन कष्ट दैहिक दैविक भौतिक का प्रतीक
🌹 डमरू आकाश तत्व शब्द ज्ञान का प्रतीक डमरू से ही माहेश्वर सूत्र निकले थे
🌹शरीर पर भस्म पृथ्वी तत्व जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु का संदेश व विरक्ति
🌹 बागम्बर हिंसको पर अंकुश लगाने का प्रतीक
🌹 गले मे नाग वायु के प्रतीक काल के प्रतीक दुष्ट को गले लगाने का प्रतीक
🌹 हिमालय पर वास पर्वतो को संरक्षण गोवंश वद्धि के लिए नंदी वन्य जीव सिंह मयूर मूषक आदि जीवो को नर नारी को संरक्षण इनके परिवार को देखने से मिल जाता है ।
🌹 वनस्पतियो से पूजा अर्चन समस्त प्रकृति को समाहित करने का प्रतीक है ।
🌹शिव भोले भी है उग्र भी है वैरागी भी है गृहस्थ भी है, योगी भी है भोगी भी है
🌹ये ही है जिनकी वंदना ऋषि मुनि देव दानव सब करते है
🌹 सारे नव ग्रह इनकी वंदना से शांत होते है
✍कैप्टन
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