Hindi Quote in Poem by सनातनी_जितेंद्र मन

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देखो! मौसम भी,मन की पीड़ा को सह नहीं पाया।
बेचैनी मच गई,साया बादलों का उमड़ आया।।
रोयेगा फफक-फफकर,साथ में है ये कह रहा।
पीड़ा मन की सारी,निज अंतर में है सह रहा।।
आंखें नम हैं,आकाश में तारों के भी।
विरह वेदना से पीड़ित,पवन बयारों की भी।।
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#दूरक्योंहो
#पीड़ा_मन_की
#दर्द_छलक_जाता_है
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Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111787268
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