निगाहों ने बहुत तलाशा तुम्हें।
पर तुम हो कि अब तक मिली नही।।
सच बताओं स्नेह से मिलोगी क्या?
गुलाब की तरह सनम खिलोगी क्या?
जिनके ख़यालों में खोये थे।
उसे तो सनम नींद आ रही है।
बड़ी उम्मीदें थीं सनम से सफर में।
आज न हाँ बोली और न ना बोली।।
बेरुखी हो गई है ज़िंदगी।
बस विष का प्याला है क्या?
कोई बात् नही की किनारा ही सही।
अच्छा हुआ अधिकारी ने बात तो कही।।
कब तक छुपम छाई कहा खेल होगा।
सच बताना मुहब्बत का मेल होगा।।
खुश तुम भी रहना हमारे जाने के बाद।
अक्सर चुप रहती हो तुम मेरे आने के बाद।।
-!~कृष्णा~!