Hindi Quote in Poem by सनातनी_जितेंद्र मन

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हुआ कहाँ गणतंत्र अभी तक,
है मान्यगणों का रेला......
चोला बसन्ती रंगा जिसने,
उन संग खेल गया है खेला।
भ्रष्टाचारी-जाति-मजहबी,
कुपंथी डाले बैठे हैं डेरा...हुआ कहाँ...
गुण-गोबर हैं भये कवी,
भया शक्कर कुर्सी का चेरा।
डाल-खाल गिद्ध दृष्टि जमाये,
बैठा है लोभ-लुटेरा....हुआ कहाँ...
जागो हे शेर-ए-हिन्द लालों,
जागो संस्कृति के रखवालों।
फिर कब मिले?समय का फेरा,
सजा लो शिश पे भगवा सेहरा।
है अवसर आज सुनहरा.....हुआ कहाँ...
#भगवा_रंग_पहचान
#गणतंत्रदिवस
#आजादी_का_अमृत_महोत्सव
#आजादीमेरीनज़रमें
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111780645
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