Hindi Quote in Motivational by Asha Saraswat

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#Kite


पतंग


“अरे बच्चों सब कहॉं हो, सब जल्दी से तैयार हो जाओ आज हम सब बाज़ार चलेंगे” कहती हुई बुआजी आॉंगन में खड़ी थी ।

हम सभी बच्चे अपने-अपने दोस्तों के पास जाने की तैयारी में थे ,मैंने तो मॉं से आज्ञा ले ली । मेरे और भाई -बहिन भी अपनी मम्मी पापा से आज्ञा लेने की जुगत में लगे हुए थे।

मै अपने मम्मी पापा की अकेली संतान था ,मुझे कहीं भी जाना होता तो जाने आने पर कोई रोक टोक नहीं थी ।

मेरा बहुत बड़ा परिवार है ,हम सब दादा जी,दादी जी के साथ एक ही घर में रहते हैं । हमारे कमरे अलग है लेकिन रसोईघर एक ही है । मेरे तीन चाचा जी व एक ताऊजी है । उन सब के बच्चे, मेरे चचेरे - तहेरे भाई-बहन हम सब एक साथ ही रहते हैं ।

दादाजी का दैनिक उपयोग की बस्तुओं का बहुत बड़ा थोक का व्यापार होने के कारण सभी दादा जी के निर्देश के अनुसार अपने काम में लगे हैं । अपने शहर के साथ कई अन्य गॉंव और शहरों में व्यापार फैला होने के कारण कभी-कभी बाहर दूसरे शहरों में भी जाना होता रहता है ।

लोहड़ी का त्यौहार है और हमारे दोस्तों ने हम सब भाई-बहन को अपने त्यौहार पर मस्ती करने को बुलाया है,हम सब बहुत खुश होकर जाने की तैयारी में हैं ।अभी कुछ भाई-बहन को जाने की अनुमति के लिए कोशिश करनी पड़ रही है ।

बुआजी अपने बच्चों को लेकर सुबह ही हमारे पापा जी के साथ आईं तो हम सब बहुत खुश हुए ।

बुआजी की आवाज़ सुनकर हमें लगा कि अब बाज़ार जाने से तो हमारा पूरा प्लान ही चौपट हो जाएगा । तभी सब लोग ऑंगन में आये,बुआजी ने कहा “चलो बच्चों सब मेरे साथ चलो ,आज सब लोग अपने मन पसंद कपड़े,मिठाई ,गज़क,रेवड़ी,फल लायेंगे । दादा जी ने बाज़ार में सब को बुलाया है । सब अपनी-अपनी पसंद के कपड़े, ड्रेस और रंग- विरंगी पतंग भी लायेंगे ।

सबसे पहले बुआजी के बच्चे ताली बजाकर कूद ने लगे, मैं भी ताली बजाकर ख़ुश होकर कूदने लगा तो बाक़ी भाई-बहन भी खूब शोर मचाने लगे । शोर सुनकर दादी जी भी आ गई और बुआजी से कहने लगी; “अर! लाली मेरे लिए तो एक तिरंगे के रंग की पतंग लाना और बहुत लम्बी मॉंझा डोर की चरखी लाना मैं पतंग उड़ाने छत पर जाऊँगी और तुम्हारे पिताजी बच्चों के दादा जी से पेच लड़ाने के बाद उनकी पतंग काटूँगी ।” उनकी बातों पर सब ठहाके लगा कर हंसने लगे ।

दादी जी के घुटने लकलीफ में है और दादी जी पतंग उड़ाने की बात कह रही है ।

बाज़ार से आने के बाद,हम सब लोहड़ी मनाने मोहल्ले में दोस्तों के साथ गये।

उनसब से कल संक्रांति पर आने को कहा ।

आज संक्रांति पर सुबह सबने नहाकर दैनिक उपयोग का सामान दान ,किया ।

शाम को सब नये कपड़े पहन कर मस्ती से पतंग उड़ा रहे हैं, बुआजी उदास आसमान की ओर निहार रही है, काश मेरे घर में यही माहौल हो…..काश…


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Hindi Motivational by Asha Saraswat : 111777436
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