डा० प्रबोध कुमार गोविल की आत्मकथा की समीक्षा
विजय कुमार तिवारी
राजस्थान के बहुचर्चित साहित्यकार डा० प्रबोध कुमार गोविल ने हिन्दी साहित्य को अपनी लेखनी से बहुत समृद्ध किया है। अनेकों उपन्यास,कहानी संग्रह,लेख,फिल्मी पटकथायें,वार्ताएं,साक्षात्कार आदि खूब लिखे गये हैं और छपे हैं। उन्होंने चार खण्डों में अपनी आत्मकथा लिखी है,तीन खण्ड छप चुके हैं और चौथा छपने वाला है। खण्ड-1 और खण्ड-2 की समीक्षा पूरी हुई है। आत्मकथा लिखना सहज नहीं है। गोविल जी ने साहस का परिचय दिया है और परत-दर-परत अपने जीवन-संघर्ष को खोलकर रख दिया है। उनका बहुआयामी जीवन चरित्र और लेखन रहा है। आभार और शुभकामनाएं।