अंग्रेजी सभ्यता का बुखार चढ़ा है तुमको ,
इस लिए ख़ुद को पहचान नहीं पा रहे हो ,
आदत है गुलामी जिंदगी  जीने कि तुमको ,
तभी असली मां बाप  जान नहीं पा रहे हो ,

अरे जागो अब  अंधकार की  नीदों से तुम ,
बाहर तुम्हारा शत्रु तैयार खड़ा है लड़ने को ,
गर अब भी जो  तुम ने न  जवाब दिया तो ,
मज़हब के लिए अपने वो अड़ा है मरने को ,


#PoetryOfSJT
#2022

Hindi Blog by Poetry Of SJT : 111774363
...kalpna 2 year ago

Absolutely right..

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