अंग्रेजी सभ्यता का बुखार चढ़ा है तुमको ,
इस लिए ख़ुद को पहचान नहीं पा रहे हो ,
आदत है गुलामी जिंदगी जीने कि तुमको ,
तभी असली मां बाप जान नहीं पा रहे हो ,
अरे जागो अब अंधकार की नीदों से तुम ,
बाहर तुम्हारा शत्रु तैयार खड़ा है लड़ने को ,
गर अब भी जो तुम ने न जवाब दिया तो ,
मज़हब के लिए अपने वो अड़ा है मरने को ,
#PoetryOfSJT
#2022