प्रेरणा हो मेरी,तुम प्राण हो।
है तुमसे जुड़ी नियति मेरी,आदर्शों भरी प्रीती मेरी।
तुम ही सुबह औ शाम हो,मन जिंदगी की आयाम हो।
कर्त्तव्य हो तुम,तुम्हीं निर्वांण हो।।
#तुमक्याजानो
#तुम्हारीकमी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111773807

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