मिल न पाओ अगर तुम
मेरी किस्मत में तो साथ तुम्हारा,
शायद कभी भी लिखा नहीं हो।
तुम हमेशा ही रूठे रहते हो,
क्यों खुशी से तुम मिलते नहीं हो।
जब देखो शिकवा-शिकायत ही,
तुम हमेशा ही करते रहते हो।
हमसे मिलने पर नहीं मुस्कान होती,
और हमेशा ही तुम तो दुखी ही होते हो।
शायद हममें ही कुछ कमी तो होगी,
जो तुम हमको तो भूल गये हो।
वक्त देने का वादा करके तुम,
अपने वादे को तो भूल गये हो।
मिल न पाओ अगर तुम तो,
अपनी प्यारी सी यादें देते जाना।
जी लूंगी उन यादों के सहारे,
बस इतना कहना तुम मान भी जाना।
हो गयी हो कभी हमसें गलती तो,
उसको तो तुम दिल पर मत लेना।
भूल-चूक बाले शब्दों को,
माफ करके तुम तो भुला ही देना।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री