साहेब सायराना
दुआ सलाम के बाद नसीम बानो ने दिलीप कुमार को बताया कि बिटिया ने लंदन में ही मुझसे फ़िल्म की शूटिंग दिखाने का प्रॉमिस ले लिया था तो वो खिलखिला पड़े। जब उन्होंने सुना कि सायरा ने परीक्षा ख़त्म होने के एवज में गिफ्ट के तौर पर दिलीप कुमार की शूटिंग देखने की इच्छा जताई है तो मानो उनका खून बढ़ गया।
वह झटपट पलटे और उन्होंने ड्राइवर को अपनी कार वापस पार्किंग में लगा देने का आदेश दिया। आनन फानन में भीतर वहां तीन कुर्सियां लगा दी गईं जहां मधुबाला और निगार सुल्ताना के बीच कव्वाली का एक मुकाबला फिल्माया जा रहा था। गीत के बोल थे- "तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे!"
शूटिंग देखने वालों के बीच फ़िल्म के हीरो दिलीप कुमार के ख़ुद आ बैठने से शूटिंग में और भी रौनक आ गई। मेहमान के तौर पर नसीम बानो, बेटी सायरा बानो एकटक मधुबाला को देखती रह गईं जो ख़ुद अब दिलीप कुमार से मुखातिब थीं और ढेर सारी लड़कियों से घिरी बैठी थीं।
लंदन से लौटी इस गुड़िया सी स्कूल गर्ल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसे भारत में फ़िल्म की शूटिंग इस तरह देखने का मौक़ा मिलेगा कि दिलीप कुमार ख़ुद दर्शक की तरह उनके साथ बैठे होंगे।
उन दिनों मीडिया में दिलीप कुमार और मधुबाला के प्रेम के चर्चे गॉसिप के तौर पर छितराए हुए थे लेकिन शायद कुदरत ने भावी का संकेत उस समय अनजाने ही दे डाला जब मधुबाला और निगार सुल्ताना पर फिल्माई जा रही कव्वाली के बीच एक हैरान दर्शक के रूप में इंग्लैंड से आई सायरा बानो की झलक भी ज़माने को दिखा दी। गीत के बोल मानो मुकम्मल हो गए...!
सायरा बानो की उम्र उस समय कुल तेरह वर्ष की थी पर एक संपन्न नवाब खानदान से ताल्लुक रखने वाली फिल्मी सितारा नसीम जानती थीं कि वो ख़ुद भी कभी फ़िल्मों में इसी तरह आई थीं। स्कूल में पढ़ते - पढ़ते एक फिल्मकार ने उन्हें रजतपट पर उतार दिया और उनका समूचा स्कूल उनके इस अवतरण पर अचंभित रह गया।
उनकी तरह ही उनकी ये बिटिया भी "परी चेहरा" कही जा रही थी।