राम जी के साथ सदैव खड़े है,
लक्ष्मण और सीता जी।
राजसी ठाठ-बाट हो या वन,
साथ में बनके रहे दोनों वनवासी।
प्रभु के चरणों में सदैव ही,
हाथ जोड़े बैठे है हनुमत बलवीरा।
सच्चे मन से ध्यान करे जो,
मिट जाती है उसकी सारी पीड़ा।
बसे हैं ह्रदय में जिसके हरदम,
राम और सीता की जोड़ी।
उसका जीवन सफल सदा ही,
जिस पर कृपा रघुनन्दन की होती।
मंगल शुभ्योदय
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री