मैं और मेरे अह्सास
अपनों से सवाल नहीं किया करते l
ऐसे वैसे ख्याल नहीं किया करते ll
इश्क ने जान की बाजी तक लगा दी l
मुहब्बत मे मज़ाक नहीं किया करते ll
जाने वालो को हँसकर रुखसती दो l
पीठ पीछे आवाज नहीं दिया करते ll
चार लम्हे लेकर आए हैं आज मिलने l
प्यारों को नाराज नहीं किया करते ll
फिक्र होती है इस लिए पूछे गये हुए l
जवाब में सवाल नहीं किया करते ll
१२-१२-२०२१
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह