मैं शून्य लिखूं, तुम सर्जन समझना
मैं अल्प लिखूं, तुम विस्तृत समझना
मैं तीव्र लिखूं, तुम धैर्य समझना
मैं श्वास लिखूं, तुम प्राण समझना
मैं देह लिखूं, तुम आत्मा समझना
मैं पुष्प लिखूं, तुम सुगंध समझना
मैं बारिश लिखूं, तुम जल समझना
मैं झरना लिखूं, तुम नदि समझना
मैं पत्ते लिखूं, तुम हवा समझना
मैं व्योम लिखूं, तुम वसुधा समझना
मैं बुद्धू लिखूं, तुम बोधगया समझना
मैं भ्रमण लिखूं, तुम पालीताणा समझना
मैं भौतिक लिखूं, तुम वैराग्य समझना
मैं युद्ध लिखूं, तुम बुद्ध समझना
मैं अहिंसा लिखूं, तुम महावीर समझना
मैं त्याग लिखूं, तुम दिक्षा समझना
मैं ध्यान लिखूं, तुम समाधि समझना
मैं अशांति लिखूं, तुम शांति समझना
मैं ठोस लिखूं, तुम नरम समझना
मैं धृणा लिखूं, तुम करुणा समझना
मैं भूल लिखूं, तुम क्षमा समझना
मैं हृदय लिखूं, तुम स्नेह समझना
मैं ज्ञान लिखूं, तुम आध्यात्मिक समझना
मैं समस्या लिखूं, तुम समाधान समझना
मैं मृत्यु लिखूं, तुम जीवन समझना
मैं दु:ख लिखूं, तुम सुख समझना
मैं व्याधि लिखूं, तुम उपचार समझना
मैं क्षण लिखूं, तुम संपूर्ण समझना
मैं विध्वंश लिखूं, तुम निर्माण समझना
मैं अंत लिखूं, तुम प्रारब्ध समझना
-© शेखर खराड़ी
तिथि- १०/१२/२०२१