तांका लघु काव्य ( वार्णिक छंद )
विधान- 5,7,5,7,7 = 31 वर्ण
विषय- संन्यासी
बुद्ध नगर
शांत चला संन्यासी
प्रातः वंदन
रवि स्पर्श के साथ
करें पुष्प अर्पण ।
ये क्षण-क्षण
प्रकृति मुस्कुराएं ,
अनंत हवा
चले भिक्षु के संग
अत्यंत गंध लिए ।
धैर्य से पाना
मधुर शीतलता
करुणा भरें
हृदय में जाकर ,
मिलेगा सत्य भाव ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि- ७/१२/२०२१