गाव की गलियों में अल्हड़पन को संजोए हुए
मुख पे प्यारी मुस्कान लिए
हातो में शैतानियों का शहर समेटे हुए
दोस्तो की पलटन लिए
पटाखों सा जगमग किरदार लिए हुए
शान की परिभाषा लिए
पापा की डाट का सामना करते हुए
मा के आंचल में आसरा लिए
"जीना इसी का नाम है "गाते हुए
बचपन की इन सारी यादों को लिए
शहर की भागदौड़ में ख़ुद को संभालते हुए
सर पे जिम्मेदारियों का बोझ लिए
कल की फ़िकर में आज को भूलते हुए.... एक किरदार।