मैं और मेरे अह्सास
आई जब इन्तहा की घड़ी l
भाग्य रेखा से फ़िर लडी ll
आज ऊंची उड़ान भरेंगे l
तोड़ेंगे ज़माने की हथकड़ी ll
बिन बारिस के आखें बरसीं l
कुछ तो बात हुईं है बड़ी ll
दौड़ के लिपट जाओ झट से l
खुशियां बाहें फैलाए है खड़ी ll
भर जवानी में आया बुढ़ापा l
हाथ में लिए फिरते हैं छड़ी ll
प्यार का पहले तोहफ़े में l
अंगुठी नीलम से है जड़ी ll
दर्शिता