स्त्री को सिखाया चुप रहना
फिर उसने अपनी आस पड़ोस सहेलियां
हर उस स्त्री का सहारा लिया
अपनी वितंबना बताने, मन के बोझ को हल्का करने
उसे पंचायत , चुगलिखोर का नाम दिया गया !
पुरुष को सिखाया कभी दुखी न होना
केवल कठोर होना ही पौरुषत्व की शान ;
कुछ बदसंगत का प्रभाव , कुछ कभी न कह पाने की विवशता
इन कठोरता में दबी पीड़ा की चीख को चिल्लाकर
झाया करने का अवसर मिला भी तो
कहलाया वह नशे में चूर प्रमत्त !
- उर्मि