चिल्लाने का मन करता है ना, जब कभी हद से बाहर हो जाती है बाते।
लेकिन पता चलता है, सुनने वाले सब बेहरे है।
करता है ना बहुत मन रोने का जब हम सही हो
और सर टिकाने वाला कंधा हमे गलत कहने लगे।
दर्द होता है ना जब कोई कहता है,
अगर में तुम्हारे जगह होता तो सब कुछ ठीक कर देता।
हसता है मन काश में तुम हो पाता,
काश में तुम्हारे जूते पहन कर अपनी जिन्दगी चला पता।
फिर कोई मुझे घमंडी न कहता, लोगो के लिए मधुर वाणी बोल पाता, पत्थर दिल को पिघलाने वाला मोम भी आसपास ही मिल जाता।
मै नहीं हु तुम्हारी जगह, जैसा हु वैसा ठीक हु।
हर आदमी अपने नजरिये से दुनिया देखता है।
कोई किसी की जगह कहा ले पता है।