*दीपक,उजियार,माटी,वर्तिका,तमस*
1 दीपक
दीपक का संदेश है, दिल में भरें उजास।
छाए तम का नाश हो, बादल-छटें उदास।।
2 उजियार
सदियों से दीपक जला, फैलाया उजियार ।
अंधकार का नाश कर, मानव पर उपकार ।
3 माटी
सौंधी माटी खेत की, श्रम की है दरकार।
फसलों की अँगड़ाइयाँ, कृषक करे सत्कार।।
4 वर्तिका
दीप वर्तिका जब जले, होता तम का नाश।
राग द्वेष हिंसा भगे, कटें नाग के पाश।।
5 तमस
रहा तमस जग में जहाँ, रावण का साम्राज्य।
उजियारे की चाहना, रामराज्य -स्वीकार्य ।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "