एक मित्र अपनी सच्ची कर्तव्यनिष्ठता से परेशान था उसे बस इतना कहा या तो अच्छाई सच्चाई छोड़ दे या दुखी मत हो-
शान्त हो गया।।अरे पगले!इस कलयुग में बुराई नही बढ़ेगी तो कब बढ़ेगी ये सुन तो संतुष्ट हो गया।
बेचारा फ़िर से सच की राह पर चल दिया।।
-Aromatic Saurabh