तू इस मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले
देखो मन के खेल निराले नित्य नित्य नव डेरा डाले
नए अश्व के जैसा चंचल, किसी के संभले ना आए संभाले
इंद्रियों के विषयों में फस कर, जीवन यू ना व्यर्थ गंवा रे
तुम इस मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले....
मन मन ही गिराए मन उठाएं ,
मन ही गरीब अमीर बनाए
मन से बड़ा शत्रु नहीं कोई
मन ही परम मित्र कहलाए
अभ्यास और वैराग्य के बल से,
दृढ़ता से मन पर तू काबू पा ले
तू इससे मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले.....
कर्मो से देखो निमित्य ( भाग्य ) है बनते
निमित्त से जीवन में सुख दुख आते
निष्काम कर्म करे जो जोगी, भवसागर से वो तर जाते
कर्मों के फल को त्याग दे बन्दे
जीवन मरण से मुक्ति पा ले
तू वैसे मन का दास ना बन.........
झूठी माया- झूठी काया, झूठा यह संसार बनाया
झूठे अपने - झूठे सपने, ईश्वर ने देखो यह खेल रचाया
तू इस सत्य को जाने ले बंदे ,भवसागर से मुक्ति पा ले
तू इससे मन का दास ना बन.....
लाख चौरासी घूम के आया
तब जाकर मानव जीवन पाया
माया मोह के धागों में फस कर
तूने जीवन व्यर्थ गवाया,
मुक्ति के मार्ग पर आन खड़ा है
मानव तन को मुक्ति का द्वार बताया
सब कुछ अपना समर्पित करके, ईश्वर में तू ध्यान लगा ले
इस मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले.....
MOHIT RAJAK 💫💫