My Meaningful Poem..!!
जिस मुस्कान से सुकून मिलता था
क्यों आजकल फ़रेबी-सी लगतीं हैं
जिन आँखों से प्यार छलकता था
क्यों आजकल फ़रेबी-सी लगतीं हैं
जिस पड़ोसी से आटा-दाल लेनदेन थी
क्यों आजकल फ़रेबी-सी लगतीं हैं
जिस त्यौहारों में एक अपनापन-सा था
क्यों आजकल फ़रेबी-सा लगता हैं
जिन खिलौनों में बाँट के खेल दाव था
क्यों आजकल फ़रेबी-सा लगता हैं
प्रभु की यथा-गाथा में निर्दोष भाव था
क्यों आजकल फ़रेबी-सा लगता हैं
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-Rooh The Spiritual Power