My New Poem ...!!!
यारों ये भी एक अजीब तमाशा है
प्रभु के बने बाज़ार-ए-उलफत में
दिल किसी और का होता है
और
बस किसी और का चलता है
खवाहीश किसी और की होती है
हक़ किसी और का पनपता है
बहकने के बहाने देता कोई और है
बेगुनाह मासुम बहकता कोइ और है
जाइझ-गुनाह भी करता कोइ और है
नव माह मजबुर झैलता कोइ और है..!!
मौत-औ-जीदगीं के दौर से गुजर कर
उस पर तोहफ़ा मिलता एक और है..!!
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-Rooh The Spiritual Power