My New Poem ...!!!
*तूने मूझे चाहा है बे-ईमतेहाँ या रब,
ये मेरी अपनी ख़ुश किस्मती है या रब,*
*वनाँ तेरी मेहरबानीऔ के आगे मेरी,
इबादत की कया औक़ात है या रब,*
*रोज़ गलती करता हूँ में अनगिनत,
पर तूँ नजर-अँदाज करता है या रब,*
*तू तो वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ,
*पर में वैसा नही जैसा तूँ चाहता है,*
*मेरी अदना-सी ईलतेजा है या रब,*
अपने फ़ज़ल-औ-करमसे मुझे भी वैसा
ही बना ले जैसा तू चाहता है या रब.!!*
*....✍️✍️🙏💓🙏✍️✍️....*
-Rooh The Spiritual Power