Hindi Quote in Story by Abhilekh Dwivedi

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अनन्या ने खुद को सम्भाला, आकृति को कॉल किया।
"बधाई हो!"
"एक प्रॉब्लम है।" आकृति की आवाज़ में कम्पन था।
"क्या प्रॉब्लम है?"
"सुमित पिछले दो महीनों से ऑस्ट्रेलिया में है और तब से मेरा उसके साथ कोई फिजिकल कॉन्टैक्ट नहीं हुआ है। पता नहीं कैसे और क्या हुआ है, इसलिए कुछ समझ नहीं आ रहा।"
"अरे मेरे साथ भी तो यही कंडीशन हुई है। मेरे और समर्थ के बीच हुआ तो था लेकिन उसका कहना है कि उसने प्रोटेक्शन लिया था और अब मैं प्रेग्नेंट हूँ। वो एक्सेप्ट करने के लिए तैयार ही नहीं है, उसने तो यहाँ तक कह दिया कि मैं उससे चीटिंग कर रही थी।"
"अब तू क्या करेगी?"
"कुछ तो करुँगी ही। तू क्या करेगी?"
"समझ में नहीं आ रहा यार।"
"टेंशन मत ले, मैं आती हूँ… मिल, फिर बात करते हैं।"
लगता है इनके अंदर का शोर अभी भी बेचैन ही था। अनन्या ने तुरंत ड्रेस बदला और आकृति से मिलने के लिए निकल पड़ी।
समर्थ जानता था कि अगर अनन्या ने कुछ भी ऐसा-वैसा कर दिया तो फिर वो कहीं का नहीं रहेगा। इसलिए उसने इस सिचुएशन से निपटने के लिए लॉयर से कंसल्ट करना ही सही समझा। लॉयर ने देखते ही समझ लिया था कि मामला पेचीदा है।
"सब बताइये और इत्मीनान से, क्योंकि अगर उसने पहले कम्प्लेन कर दिया तो वीमेन एम्पावरमेंट और स्मैश पैट्रिआर्की की पालकी पर तुम्हारे इज्जत का जनाज़ा उठेगा। सोशल मीडिया पर अच्छे फॉलोवर होंगे तो सबसे पहले वो वहीं शेयर करेगी लेकिन पुलिस के पास पहले कभी नहीं जायेगी।"
"मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाला। उस दिन भी मैंने हर बार की तरह प्रोटेक्शन लिया था और फिर... "
समर्थ ने हर बात पूरी बारीकी से और जहाँ तक याद था सब साफ़-साफ़ बता दिया था। हालाँकि दिल के किसी कोने से वो यही मना रहा था कि अनन्या ऐसा कुछ ना करे। इधर अनन्या भी आकृति के घर पहुँच चुकी थी। दोनों के चेहरे पर बारह बुरी तरह से बज रहा था।
"ये कैसे पॉसिबल है यार। डॉक्टर्स भी नहीं मानेंगे कि बिना स्पर्म के अंदर गए कोई प्रेग्नेंट कैसे हो सकता है।" आकृति का कहना था।
"वही तो। कंडोम के ब्रैंड पर केस करने से पहले तो प्रूफ करना होगा कि वो कंडोम सही था। और कंडोम इस्तेमाल करने के बाद कौन जतन से रखता है ये साबित करने के लिए कि कंडोम कितना असरदार है।"
"हमें किसी की मदद ज़रूर लेनी चाहिए। चाहे पुलिस की, लॉयर की या एटलीस्ट डॉक्टर की। क्योंकि ऐसे तो कुछ भी हासिल नहीं होगा।"
अभी अनन्या कुछ बोलती कि इससे पहले ही आकृति के दरवाज़े की घंटी बजी। दोनों ने एक दूसरे का चहेरा देखा तो दोनों क्लूलेस थे। आकृति ने उठकर दरवाज़ा खोला तो सामने नैना, जो उन दोनों की कॉमन फ्रेंड थी, खड़ी थी। नैना दिखने में उन्हीं के जैसी ही दिखती थी लेकिन फिलहाल उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थी और वो थोड़ा डरी हुई भी थी। वहाँ अनन्या को देखकर नैना भी चौंक गयी थी।
"अनन्या! तू यहाँ?" नैना पूछा।

Hindi Story by Abhilekh Dwivedi : 111744207
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