*हिचकी*
यूं तो है हिचकियां साँसों के लिए एक रुकावट,
फिर भी उनके आने से आती है चहेरे पर मुस्कुराहट।
हिचकियां मेरे दिल की ख्वाहिश साबित कर रही है,
यक़ीनन वो कहीं बैठी मेरा ज़िक्र कर रही है।
वरना यूं ही नहीं आती मुझे हिचकियां शामसे,
उसके ज़हन में हूं, ये सोच कर बैठा हूं आरामसे।
मायूसी छोड़, चहरे पर एक रौनक सी छा गई,
उसकी यादों पर मेरी जाँ फ़िदा हो गई।
मैं तो उसे हर वख्त, हर पल याद करता हूं,
हिचकिने तसल्ली दी, कि में भी उसे याद आता हूं।
मेरी यादों से उसे भी हिचकी आती होगी,
मुझे माफ़ कर, वो भी मुस्कुराती होगी।
वो जिस तरह आकर मेरे ज़हन में थम सी गई है,
उम्मीद है, उसे भी अपनी हिचकि प्यारी लग रही है।
हिचकियां तो बस एक खुशफहमी है,
दिल को मनाए रखने का अच्छा बहाना है।
उसके चेहरे पर एक तबस्सुम देखने को बेकरार हूँ मैं,
बस ये जान लूँ, उसकी आँखों की चमक की वजह हूँ मैं।
आमने सामने मुलाकात हो तो कुछ बात बने,
उसका चेहरा देखूं, तो हिचिकियों को भी राहत मिले।
*शमीम मर्चन्ट, मुंबई*