English Quote in Poem by Pramila Kaushik

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नज़र बनाए हुए हैं!
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नेता लगातार नज़र बनाए हुए हैं!
हवाईजहाज से निरंतर
देश में बाढ़ के हर दृश्य पर
एकटक नज़र बनाए हुए हैं।
पहाड़ खिसक रहे हैं, दरक रहे हैं
नेता लगातार स्थिति पर
नज़र बनाए हुए हैं।
झुग्गियों में लगी आग पर,
किसानों के आंदोलन पर
8 महीने से नज़र बनाए हुए हैं।
बहन - बेटियों पर होते बलात्कार
की खबरों पर लगातार
नेता नज़र बनाए हुए हैं।
कोरोना की दूसरी लहर के समय
आॅक्सीज़न की कमी से दम तोड़ते
मरीज़ों पर वे
लगातार नज़र बनाए रहे।
कोरोना से हुई मौत के आँकड़ों पर भी
वे हमेशा नज़र बनाए रहे।

चीन और पाकिस्तान की सीमा पर
बढ़ते विवाद पर सरकार
लगातार नज़र बनाए हुए है।
कश्मीर की वादियों में पनपते
आतंकवाद पर सरकार हरदम
नज़र बनाए हुए है ।
मुल्क में जासूसी के मामले में
पेगासस पर हर पल
नज़र बनाए हुए है ।
समाज में होने वाले हर भ्रष्टाचार पर
वे पैनी नज़र बनाए हुए हैं ।
कोई भी नज़ारा उनकी नज़रों से
ओझल न हो जाए इसलिए
हर नज़ारे पर हर पल वे
नज़र बनाए हुए हैं ।

देखा! कितनी मेहनत करनी पड़ती है
इन्हें हर समय हर जगह लगातार
नज़र बनाए रखने के लिए।
देश का कितना भला करते हैं ये,
जनता में यह भ्रम सदैव ही
बनाए रखने के लिए।

लेकिन क्या सरकार हर स्थिति पर
केवल नज़र बनाए रखने के लिए है?
खुली आँखों से अंधेपन का नाटक
कर बस धृतराष्ट्र बन जाने के लिए है?

क्यों नहीं वह सभी मुद्दों पर विचार कर
देशहित में कोई फैसला ले पाती ?
पूरे देश के सामने अपने मन की बात
तो हमेशा करती रहती ।
क्यों नहीं वह सबकी समस्याओं को
खुले मन से सुन पाती ?
क्यों नहीं वह संवेदनशीलता के साथ
जनता को साथ ले चल पाती ?
क्यों नहीं वह हर स्थिति में
चुनाव हित से ऊपर सोच पाती ?

असंतुष्टि की चिंगारी ने जनता में
ज्वाला को धधका दिया है अब ।
क्रांति का बिगुल जो बज चुका है
आवाज़ को कैसे दबा पाओगे अब?
विरोधी जन सैलाब जो उमड़ पड़ा है
उस बहाव को कैसे रोक पाओगे अब?

गूँगे - बहरे होकर अपंग मत बनो,
धृतराष्ट्र बने मत बैठो, ठोस निर्णय लो ।
सारथी बनाया था तुमको जनता ने,
कृष्ण की तरह लगाम हाथ में थाम लो ।
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचो!
नज़र बनाने की बजाय देशहित में सोचो!
देश को पतन की राह पर मत जाने दो।
उत्थान करो देश का, खुशहाली आने दो।।

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अभिव्यक्ति - प्रमिला कौशिक
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English Poem by Pramila Kaushik : 111742427
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