My Wonderful Poem..!!!
यारों में ने मय(जाम) से पूछा कि
बंदे तूजे पी कर बेहोश क्यों होते है
मय ने हस के जवाब दिया शुक्र हैं
कि मुझे पी कर लोग कुछ पल होते हैं
पर ए में (अहंकारजी) तूजे पी कर
तो लोग जीदगीं-भर को बेहोश होते हैं
बात में ओर मय की चल रही थी वही
बीच में तूं (प्रभुजी) बोले ए नादानियों
के मालिक सूनो हमने आपको भेजा
ही जहाँमें खुद को परखके मुझे पाने को
में या मय तो हमारे सी.आई.डी. हैं
जिनका काम ही आपको बरगलाने का
पर जो बंदे मेरे प्रेम के दिवानें हैं उन्हें न
में छू सकता ना मय बरगला सकता हैं
अंततः बंदे को फ़ानी जीदगीं में तय
करना हैं कि क्या उसे यहाँ ले के जाना
या क्या यहाँ छोड़ के जाना हैं, वरना
निशान कदमों के भी शीख देते रहते हैं
जैसे साई कबीर नानक मीरा ने छोड़े
जो निशान आज भी बोधिसत्व देते हैं
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