निंद अब हमे आती नहीं
तेरी याँद दिल से जाती नहीं.
ऐ कैसा रीस्ता हैं तेरा मेरा
बस कुस उहीं आँखो से आँखे मीली,
और फिर ये आँखे रोने लगी,
तडपता हैं दिल रोती हैं आँखे
ये कैसी हवाऐ साने लगी
याँद मुजे तेरे सीवाइ कुस नहीं
कौन हैं तु आखिर क्या साहती हैं,
क्यु मुजे बार बार सताती हैं,
ऐ जींदगी हम कैसे जीये कुस समज अब आता नहीं.
-Makavana Lashakar