तेरे बिन ना दिन गुज़रते है,
ना रात गुज़रती है मेरी,
ना सूरज की रोशनी अच्छी लगती है,
ना चाँद की चाँदनी पसंद आती है,
साम होते ही तुम्हारी याद आती है,
याद आते ही आँखें भर जाती है,
कैसे बयान करु अपनी तन्हाई तुम्हें,
क्यूँकि मैं इस पार और तुम उस पार।
-Parmar Sadhna