मैं शायरी जब - जब लिखता ,
लोग कहते शिकार यह इश्क का ,
कहता मैं उन से दो शब्द टूक के ,
न मुहब्बत में घायल ,
न प्यार में पागल ,
न रुशवाई न तन्हाई ,
यह बैचेनी मुझसे झेली न जाये,
आनंद रस का शौक मेरा ,
हर विद्या का ज्ञान चाहता ,
कुछ लिखता कुछ सुनाता ,
कल्पना ख्वाबों की करता ,
लिखे जो आप गाथा सुनता ,
हर पंक्ति में कुछ अलग ढूंढता !
-Sonu Mukesh