शीर्षक: सफर
सफर इतना ही साथ रहे, मेरा
तुम्हें याद रहे सदा, नाम मेरा
दस्तूर दुनियां के, सब ही निभाना
हमसफ़र थे कभी, इसे न भुलाना
चाही हुई, सब मंजिले तुम्हें मिले
इतफाक से मिले, तो सिर्फ गले मिले
शिकवों का बोझ, साथ कभी न लेना
सँभाल लूँगा, तुम दिल को बोझ न देना
सफर में, मेरे साथी, कुछ न कुछ तो होता
बर्तनों के टकराने से, बुलबुला भी फट जाता
सफर, जब भी किसी का, अंतिम मंजिल पाता
एक के उतरने से, दूसरे को, गंतव्य तक जाना होता
अलविदा के क्षण, बड़े मासूम ख्याल, दिल को देते
पँहुच मंजिल को, बीते सफर के क्षण, मामूली हो जाते
✍️ कमल भंसाली