शीर्षक: अगर आसमां निहार लेते
न वक्त रुका, न जिंदगी थमी
हम ही रुके, थी, कोई कमी
रुकना, ख़ौफ़ का अहसास था
चलना, मजबूरी का विश्वास था
बदल देते, अगर यह धारणा
न होता, मुसीबतों से सामना
फ़लसफ़ा तो, सब यही लोग बताते
कर्म के दरवाजे पर, ताला नहीं लगाते
तयः कर लेते, बिन ख़ौफ़ ही चलते
अगर अंधेरों में, दीप, साहस का जलाते
बदल जाते , ये दिन, जो भारी से लगते
कर्म के दरवाजे से, अगर आसमां निहार लेते
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali