Hindi Quote in Poem by Ankita Gupta

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कुछ लिखने की ख्वाहिश लिए बैठी सोच रही थी मैं…
क्या लिखूं…?
हाथ में पकड़े कलम की बेताबी देख सोच रही थी मैं…
क्या लिखूं…?

कलम की रफ्तार से कोरे कागज पर उकेरे शब्द रूपी मोतियों को देख सोच रही थी मैं…
क्या अलग नजरिए के साथ इन शब्दों के अलग ही मायने हैं…?

अल्फ़ाज़ो के बेजोड़ मेल से बने एक सुंदर-सी रचना को देखकर सोच रही थी मैं…
पढ़ने वालों के लिए तो यह बस कुछ अल्फाज़ हैं…!
पर महसूस करने वालों के लिए एहसासों का एक दरिया…!

अपने ही दिमाग के कारस्तानियों में उलझी सोच रही थी मैं…
कोई इसे पढ़ अधूरा ही छोड़ जायेगा…!
और कोई इसे पढ़ यादों के समन्दर में गोते लगा आएगा…!

और अंत में अपने ही सोच में उलझते सुलझते मैंने महसूस किया…
हर इंसान का अपना एक अलग ही नज़रिया है…!
इस गुलज़ार अहसासों से भरी दुनिया को देखने का…!

- नैना गुप्ता 'अंकिता'

Hindi Poem by Ankita Gupta : 111730288
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