विषय: कल कहाँ रुकोगे
कल कहाँ रुकोगे, आज ही तुम रुक जाओ
हो सकता, कल के अस्तित्व में, आज को न पाओ
कल की राहों पे, हर आज को गुजर जाना है
क्योंकि जिंदगी का दिया हुआ, यही हलफनामा है
कल के हर अंदाज से, गलतफेमियाँ पैदा हो जाती
तभी कर्म के बाजार में, आज की कीमत गिर जाती
मौसम का बदलना, कितना कुछ अहसास करा देता
पर पल के अनुसार, हमें बदलना, अच्छा नहीं लगता
कल की सोच कमजोरी है, आज तो सदाचारी होता
कल कुछ नहीं करता, सदा आज निर्माणकारी होता
चलना और रुकना दो पहलू है, आज और कल के
दोनों की समझ हो, तो ये बन जाते यंत्र सफलता के
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali