शीर्षक: नींव
अफसोस न कर जिंदगी, इतना
टूट जाये, तेरा देखा, हर सपना
कल के, सुनहरे पन को समझ
कलुषित हुए, आज में न उलझ
आज बदली, कल भास्कर उगेगा
बारिश के स्पर्श से, नव-पुष्प खिलेगा
मत सोच, सब यहाँ स्थायी रहता
सोच, हर पल को बदलना होता
परिणाम, प्रयास के मोहताज होते
याद रखे, जो लिखे, वो ही पढ़े जाते
दास्तां कल की, आज ही लिखनी है
मूर्धन्य जीवन की, अब नींव बनानी है
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali