Hindi Quote in Religious by ब्रह्मदत्त उर्फटीटू त्यागी चमरी हापुड़

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भगवान श्री विष्णु सत्यनारायणजी नमस्कार आपको ब्रह्मदत्त(व्रत विधि)
सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिंदू धर्मावलंबियो के बीच
सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप
से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा
एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कंदपुराण के रेवाखंड से संकलित की गई
भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप
इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठांतर से लगभग 170 श्लोक
संस्कृत भाषा में उपलब्ध है जो पांच अध्यायों में बंटे हुए हैं। इस कथा के दो प्रमुख
विषय हैं-जिनमें एक है संकल्प को भूलना और दूसरा है प्रसाद का अपमान।
पात्यनारोपण
व्रत कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया
है कि सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियां आती है। इसलिए
जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा और सुदृढ़ता के साथ करना चाहिए। ऐसा
व करने पर भगवान न केवल नाराज होते हैं अपितु दंड स्वरूप संपति और बंधु
बांधवों के सुख से वंचित भी कर देते हैं। इस अर्थ में यह कथा लोक में सच्चाई की
प्रतिष्ठा का लोकप्रिय और सर्वमान्य धार्मिक साहित्य है। प्रायः पूर्णमासी को इस
कथा का परिवार में वाचन किया जाता है। अन्य पदों पर भी इस कथा को विधि
विधान से करने का निर्देश दिया गया है।
इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान,
तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता होती जिनसे भगवान की पूजा
होती है। सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता,
मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है जो भगवान को काफी पसंद है। इन्हें
प्रसाद के तौर पर फल, मिष्टान्न के अलावा आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर
एक प्रसाद बनता है जिसे सत्तू कहा जाता है, उसका भी भोग लगता है।
सत्यनारायण व्रतकथा पुस्तिका के प्रथम अध्याय में यह बताया गया है कि
सत्यनारायण भगवान की पूजा कैसे की जाय। संक्षेप में यह विधि निम्नलिखित है-
जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना
चाहिए। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहाँ एक अल्पना बनाएं
और उस पर पूजा की चौकी रखें। इस चीकी के चारों पाये के पास केले का वृक्ष
लगाए। इस चौकी पर ठाकुर जी और श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें।
पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर इन्द्रादि दशदिक्पाल की
और क्रमश: पंच लोकपाल, सीता सहित राम, लक्ष्मण की, राधा कृष्ण की।
इनकी पूजा के पश्चात ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी
माता की और अंत में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें।
पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें।
पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराएं। पुराहित जी के भोजन के
पधात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें।-ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

Hindi Religious by ब्रह्मदत्त उर्फटीटू त्यागी चमरी हापुड़ : 111728522
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