शीर्षक: बोलो ना
कल कल करती, नदिया
छम छम करती, बरसात
सावन की, वो भीगी रात
अहसास भरे हुए, जज्बात
तुम्हे याद है ना, बोलो ना
कंपकपाता, सुनहरा बदन
जिस्म से लहराती, अंगड़ाई
केशूओ से छिटकती, मस्ताई
गालो पर अटकती बुँदे, शरमाई
तुम्हे याद है ना, बोलो ना
सोचने की बात है, मन भावन
मोसम सावन या जिस्म सावन
संगम हो तो, बन जाते पावन
अधर-नृत्य करती, हर धड़कन
तुम्हे याद है ना, बोलो ना
पुष्पों ने, मधुरता की कसम
भौरों ने, गुनगुनाने की, सनम
पवन ने, लहराने की प्रियतम
सात सुरों का हो रहा है, संगम
तुम्हे याद है ना, बोलो ना
✍️कमल भंसाली