कैसे बयाँ करूँ उन जज्बातों को, जो तुझे देखकर इस दिल मे उभर आते हैं🇮🇳❤️
कैसे लफ़्ज़ों में पिरोऊँ उन एहसासों को, जो तुझे छूते ही मुझे पिघला जाते हैं
साया भी तेरा गर बन्द पलको के पीछे नज़र आ जाता है
सुकून ओ शाम हो जाती है मेरी, जब बातो में तेरा ज़िक्र हो जाता है🇮🇳❤️
सजदे में झुक जाता है शीश तब ये, जब आंखों के सामने मंज़र वो घूम जाते हैं
जो छोड़ने से पहले घर, उस घर की दहलीज चूमकर जाते हैं🇮🇳❤️
जब भी हारने लगता है हौंसला मेरा, बस तुझे याद कर हम फिरसे जुट जाते हैं
तू ही है मंज़िल मेरी तुझे पाना एक सपना है, तेरे लिए तो लोग जुनून की हद पार कर जाते हैं🇮🇳❤️
-Jyoti Prajapati