शीर्षक : पिता का दर्द
किस ख्याल को, अपना कहता
हर ख्याल में, सपना, तुम्हारा रहता
बेहतर से बेहतर हो, हर कल तुम्हारा
इसी में खोया रहता, ये पिता तुम्हारा
कल तुम क्या होंगे, ये, ये कह नहीं सकता ?
हाँ, तुम्हारी जीत पर, पिता हो, गर्व कर सकता
पिता के सराहने से, संतान आगे नहीं बढ़ती
हर सफलता पर, पिता की छाती चौड़ी होती
ख्याल इतना ही रखना, इंसान बन रहना
ये जन्म तुम्हारा है, इसे सदा सँजोये रखना
चाह मेरी इतनी ही, स्नेह सब से बनाये रखना
गुलशन है परिवार हमारा , फूल बन सदा खिलना
भूल हुई कोई तुम्हें बड़ा करने में, माफ कर देना
कोई ऐसी भूल, तुम अपनी संतान के लिए न करना
आज कुछ भी नहीं पास में, चंद साँसों के सिवाय
उत्तर नहीं, कभी पूछोगे, क्या किया पालने के सिवाय
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अंत में पिता के पास, आशीर्वाद के वचन दिल में रहते
संतान समझे या न समझे, "दौलत" इसी को तो कहते
✍️कमल भंसाली