आतिथ्य ही घर का वैभव है,प्रेम ही घर की प्रतिष्ठा है।
व्यवस्था ही घर की शोभा है,समाधान ही घर का सुख है।
सदाचार ही घर का सुवास है,ऐसे घर में प्रभु का वास है।
ऋण हो, ऐसा खर्चा मत करो,पाप हो ऐसी कमाई मत करो।
क्लेश हो ऐसा मत बोलो, चिन्तामय जीवन मत जीओ।
रोग हो ,ऐसा मत खाओ।
अनन्त कुमार व्यास।
बीकानेर ,राजस्थान ।