तेरी नजरों की कशिश को मैं
अपनी नज्मों में उतारती हूं
तेरी अगवाई को मैं
अपनी जिंदगी का सलीका मानती हूं
तू कहता है , "मैं ख्वाब हूं तेरा"
पर मैं तुझे अपने पन्नों की हकीकत मानती हूं
क्या करूं इश्क़ .....,
संगमरमर तो मैं हूं नहीं
जो तेरा रंग मुझपे गिरे भी
और कभी मुझपर चढ़े भी न ❤️
-ARUANDHATEE GARG मीठी