💥☀️उत्तम मार्दव धर्म:☀️💥
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आत्मा और मान कषाय के भेद को अनुभव करके मान को छोड़ना उसका नाम मार्दव गुण है। मार्दव परिणामी को साधु पुरुष भी साधु मानते हैं। कठोरता रहित पुरुष ही ज्ञान का पात्र होता है। समस्त धर्म का मूल समस्त विद्याओं का मूल विनय है। विनय परम् आभूषण है।
कोमल परिणामी में ही दया भाव रहता है। मार्दव से स्वर्गलोक की अभ्युदय-सम्पदा तथा निर्वाण की अविनाशी सम्पदा प्राप्त हो जाती है। जैसे पाषाण में जल प्रवेश करता है, उसी प्रकार सद्गुरुओं का उपदेश कठोर पुरुष के हृदय में प्रवेश नहीं करता है।अभिमानी का समस्त लोक बिना किये ही बैरी हो जाता है, परलोक में तिर्यंच तथा अति नीच मनुष्यों में असंख्यातकाल तक अनेक प्रकार से तिरस्कार का पात्र होता है अभिमानी किसी को भी प्रिय नहीं लगता है, अतः कठोरता छोड़कर मार्दव भावना ही निरन्तर धारण करो।
हम सभी अपने अपने जीवन मे मायाचारी आदि छोड़ कर सम्यक मार्दव धर्म अंगीकार करके अपना मोक्ष मार्ग प्रस्सत करे इनही भावनाओ के साथ।
~●◆■💥☀️ जय जिनेन्द्र ☀️💥■◆●~
#आर्यवर्त