☀️💥अधूरा ज्ञान विनाश का कारण!!💥☀️
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[[ श्लोक मिमांसा ]]
अधूरा ज्ञानी हमेशा विनाश का कारण होता है और कुछ लोग अधूरे ज्ञान को ही पूरा बताते है इसलिए खुद पढ़ के समझ लीजिए हमे सब बताते है कि अहिंसा परमो धर्मः
लेकिन कोई भी पूरा नहीं बताता है कि पूरा श्लोक क्या है...
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: ”
इस श्लोक के अनुसार अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म हैं और जब जब धर्म पर आंच आये तो उस धर्म की रक्षा करने के लिए की गई हिंसा उससे भी बड़ा धर्म हैं। यानि हमें हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए लकिन अगर हमारे धर्म पर और राष्ट्र पर कोई आंच आ जाये तो हमें अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए। क्यूंकि वह धर्म की रक्षा की लिए की गई हिंसा ही सबसे बड़ा धर्म हैं। जैसे हम अहिंसा के पुजारी है लकिन अगर कोई हमारे परिवार को कोई हानि पहुंचता हैं तो उसके लिए की गई हिंसा सबसे बड़ा धर्म हैं। वैसा ही हमारे राष्ट्र के लिए हैं।
भारतीय नेताओं ने हमारे महान राष्ट्र भारत के महाकाव्य महाभारत के इस सबसे महत्वपूर्ण श्लोक को लोगों तक पूरा नहीं पहुंचाया है । इसलिए आपको उस अधूरे श्लोक को पूरा जरूर पड़ना चाइये
दुर्भाग्यवश इस श्लोक को कुछ राजनीतिक स्वार्थों के लिए पूरा न बताकर भारत वासियों के साथ छल किया गया। उन्हें पूर्ण श्लोक कभी बताया ही नहीं गया ।
“अहिंसा परमो धर्मः” (यह गलत हे, पूर्ण नहीं हे )
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है। “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: ”
(अर्थात् यदि अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है)
आपने देखा होगा की हिन्दू भगवान् हमेशा शस्त्र और आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं वो इसलिए हैं क्यूंकि वो निर्दोष को क्षमा करते हैं और पापी को दंड देते हैं.
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फ़ोटो क्रेडिट ~ गूगल सोर्स
संकलन एवं रचनाकार ~ गौतम कोठारी " आर्यवर्त " ©®
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