यूँ ही बाँध दिया था मैने कलाई पर एक धागा पता न था तेरे स्नेह का जिससे पहँचान कराई तूने , बहन तो न अच्छी रही मै कभी किन्तु, भाई तू अच्छा रहा , स्वार्थ भरी दुनिया मे सूत का एक धागा पक्का रहा | अब तो विशेष हूँ मै ! तीन भाईयोॱ के बीच एक हूँ मै |
-Ruchi Dixit